आरजी लग्ज़री होम्स के 600 फ्लैटों के लिए ओसी जारी, जल्द मिलेगी खरीदारों को चाबी
आरजी ग्रुप ने ग्रेटर नोएडा वेस्ट स्थित अपनी आरजी लग्ज़री होम्स परियोजना के तीन और टावर (टावर डी, ई और एफ) का निर्माण पूरा कर लिया है। इन टावरों के लिए ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट (ओसी) प्राप्त कर लिया गया है, जिससे 600 परिवारों को उनके सपनों के घर जल्द ही सौंपे जा सकेंगे।
सात टावर हुए तैयार, 1,450 फ्लैट्स का निर्माण पूरा
आरजी ग्रुप ने पिछले साल चार टावर (ए, बी, सी और एम) का निर्माण पूरा कर 850 फ्लैट्स सौंपे थे। अब कुल सात टावरों में 1,450 फ्लैट्स का निर्माण पूरा हो चुका है। परियोजना के पहले चरण के तहत शेष 460 फ्लैट्स जल्द ही तैयार कर खरीदारों को सौंपने का लक्ष्य है। यह परियोजना सेक्टर 16बी, ग्रेटर नोएडा वेस्ट में स्थित है और इसका लोकेशन “एक मूर्ति चौक” के करीब है।
2016 में रुका था निर्माण, 2020 में मिली नई शुरुआत
2010 में लॉन्च हुई इस 18.5 एकड़ की आवासीय परियोजना में 2 और 3 बीएचके फ्लैट्स का वादा किया गया था। कुल 1,918 फ्लैट्स का निर्माण प्रस्तावित था, लेकिन 2016 में निर्माण कार्य रुक गया और नौ टावरों का केवल बाहरी ढांचा ही तैयार हो पाया।
इससे परेशान होकर होमबायर्स ने 2019 में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) का रुख किया। फरवरी 2020 में एनसीएलएटी ने “रिवर्स इनसॉल्वेंसी ऑर्डर” जारी कर परियोजना को पुनर्जीवित करने का रास्ता साफ किया।
महामारी के बावजूद हासिल की सफलता
कोविड-19 महामारी के दौरान हुए लॉकडाउन ने परियोजना की गति को धीमा कर दिया, लेकिन जुलाई 2021 में मनोज कुलश्रेष्ठ को इनसॉल्वेंसी रेज़ोल्यूशन प्रोफेशनल (आईआरपी) नियुक्त करने के बाद काम तेज़ी से आगे बढ़ा। आरजी ग्रुप के प्रमोटर्स ने अपनी व्यक्तिगत संपत्तियों को बेचकर परियोजना को पुनर्जीवित किया।
आरजी ग्रुप के निदेशक और आईआरपी ने क्या कहा
आरजी ग्रुप के निदेशक हिमांशु गर्ग ने कहा, “तीन और टावरों के लिए ओसी प्राप्त करना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। अब तक सात टावरों का काम पूरा हो चुका है, और जल्द ही बाकी फ्लैट्स का निर्माण भी पूरा किया जाएगा।”
आईआरपी मनोज कुलश्रेष्ठ ने कहा कि प्रमोटर्स, होमबायर्स और वित्तीय संस्थानों के सहयोग से यह परियोजना सफल हो पाई। ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी और होमबायर्स के समर्थन ने इसे संभव बनाया।
रुकी परियोजनाओं के लिए बना प्रेरणास्त्रोत
इस परियोजना की सफलता केवल होमबायर्स को राहत नहीं देती, बल्कि शहर की अन्य रुकी हुई परियोजनाओं को पुनर्जीवित करने के लिए एक मिसाल भी पेश करती है। यह दिखाता है कि सही नेतृत्व और सहयोग से ठप परियोजनाओं को भी नई ज़िंदगी दी जा सकती है।