दिल्ली-एनसीआर में फिर GRAP 3 के प्रतिबंध लागू, कक्षा 5 तक हाइब्रिड मोड में पढ़ाई
प्रदूषण के चलते सख्ती, डीजल वाहनों पर भी लगी रोक
नई दिल्ली। दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में लगातार खराब होती वायु गुणवत्ता को देखते हुए ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP)-3 के तहत प्रतिबंध फिर से लागू कर दिए गए हैं। सोमवार को वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने “बेहद प्रतिकूल मौसमीय परिस्थितियों, धीमी हवाओं और कम मिक्सिंग हाइट” का हवाला देते हुए यह कदम उठाने की घोषणा की।
कक्षा 5 तक हाइब्रिड मोड में पढ़ाई अनिवार्य
GRAP-3 के तहत, दिल्ली-NCR के सभी स्कूलों में कक्षा 5 तक के छात्रों के लिए हाइब्रिड मोड लागू किया गया है। इसका मतलब है कि छात्र और अभिभावक अपनी सुविधा के अनुसार ऑनलाइन या इन-पर्सन क्लास का विकल्प चुन सकते हैं, बशर्ते उनके पास घर पर कंप्यूटर और इंटरनेट जैसी आवश्यक सुविधाएं हों।
डीजल वाहनों पर रोक
BS-IV से कम क्षमता वाले डीजल चालित वाणिज्यिक वाहनों की आवाजाही पर रोक लगा दी गई है। हालांकि, यह प्रतिबंध उन वाहनों पर लागू नहीं होगा जो आपातकालीन सेवाओं या आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के लिए उपयोग किए जाते हैं। इसके अलावा, BS-IV से कम क्षमता वाले बाहरी मालवाहक वाहनों को भी दिल्ली में प्रवेश की अनुमति नहीं है।
सरकारी दफ्तरों में बदले जाएंगे कार्य घंटे
दिल्ली और आसपास के राज्यों के सरकारी कार्यालयों में कामकाज के समय में बदलाव किया जाएगा। केंद्र सरकार भी अपने कार्यालयों में इस योजना को लागू कर सकती है।
वायु गुणवत्ता में गिरावट
सोमवार दोपहर 2.30 बजे दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 366 दर्ज किया गया, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है। यह पिछले हफ्ते की तुलना में काफी अधिक है। 7 दिसंबर को दिल्ली का AQI 233 (मध्यम) था, और उससे तीन दिन पहले यह 211 था।
हालांकि, 5 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने वायु गुणवत्ता में सुधार के कारण GRAP-IV प्रतिबंधों में ढील देने की अनुमति दी थी। GRAP-IV, चार-स्तरीय योजना का सबसे सख्त चरण है, जो NCR में प्रदूषण नियंत्रण के लिए लागू किया जाता है।
हर साल की तरह इस बार भी प्रदूषण पर सवाल
पिछले महीने दिल्ली और आसपास के इलाकों की वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ और ‘बहुत खराब’ श्रेणी में दर्ज की गई थी, जिससे डॉक्टरों ने स्वास्थ्य संबंधी चेतावनी जारी की थी। सुप्रीम कोर्ट ने भी प्रदूषण संकट पर सुनवाई करते हुए अधिकारियों की लापरवाही पर सवाल उठाए।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने पराली जलाने से लेकर प्रदूषणकारी वाहनों पर प्रभावी प्रतिबंध न लगाने जैसे मुद्दों पर अधिकारियों को फटकार लगाई। साथ ही, जब AQI 300 के पार चला गया, तब भी सख्त कदम न उठाने पर दिल्ली सरकार और CAQM को आड़े हाथ लिया।
पटाखों पर सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी
दीवाली के बाद हर साल होने वाली वायु गुणवत्ता में गिरावट पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया। अदालत ने कहा, “कोई भी धर्म ऐसी गतिविधि की अनुमति नहीं देता जो प्रदूषण फैलाए।” पटाखों पर लगी पाबंदी के बावजूद इसे तोड़े जाने पर अदालत ने सरकार और पुलिस को फटकार लगाई।
प्रदूषण संकट को लेकर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती हर साल दोहराई जाती है, लेकिन हालात में सुधार न होने से यह मुद्दा फिर से चर्चा में है।