ग्रेटर नोएडा वेस्ट : सिपाही आत्महत्या केस में 10 महीने बाद प्रेमिका और पति पर FIR
ग्रेटर नोएडा वेस्ट की मेफेयर रेजिडेंसी सोसाइटी में 10 महीने पहले हुई सिपाही की आत्महत्या के मामले में नया मोड़ सामने आया है। मृतक सिपाही के पिता की शिकायत पर बिसरख थाने में उसकी प्रेमिका और प्रेमिका के पति के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।
मेफेयर रेजीडेंसी सोसाइटी में 27 मार्च को हुई थी घटना
जालौन के मूल निवासी 25 वर्षीय सिपाही कुलदीप ने 27 मार्च 2024 को ग्रेटर नोएडा वेस्ट स्थित मेफेयर रेजीडेंसी सोसाइटी में अपनी सरकारी पिस्टल से खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। कुलदीप की तैनाती ललितपुर में थी और वह अपनी प्रेमिका से मिलने यहां आया था। आत्महत्या की घटना प्रेमिका के फ्लैट में हुई थी।
घटना के समय पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा और प्रारंभिक जांच शुरू की थी। अब मृतक सिपाही के पिता सुनील ने प्रेमिका और उसके पति पर गंभीर आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई है।
पिता ने लगाए गंभीर आरोप
मृतक सिपाही के पिता सुनील का कहना है कि कुलदीप की दोस्ती मध्य प्रदेश के मुरैना निवासी रवि से थी। दोनों ने मिलकर ग्रेटर नोएडा में डस्ट सप्लाई का व्यापार शुरू किया था। इसी दौरान कुलदीप का रिश्ता आगरा की एक युवती से तय हुआ।
पिता का आरोप है कि रवि की पत्नी हेमा ने इस रिश्ते का विरोध किया और कुलदीप की मंगेतर को फोन कर यह बताया कि वह कुलदीप की पत्नी है और उनके बीच शादी हो चुकी है। इतना ही नहीं, हेमा और रवि ने कुलदीप को डरा-धमका कर उससे पैसे वसूले।
पिता ने दावा किया कि हेमा और रवि की प्रताड़ना से परेशान होकर उनके बेटे ने आत्महत्या जैसा बड़ा कदम उठाया।
पुलिस ने दर्ज किया मुकदमा, जांच जारी
बिसरख कोतवाली प्रभारी ने बताया कि पिता की शिकायत पर प्रेमिका हेमा और उसके पति रवि के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। पुलिस अब आरोपियों से पूछताछ करेगी और घटनास्थल से जुड़ी सभी जानकारियों की जांच करेगी।
पुलिस अधिकारियों ने कहा है कि मामले को गंभीरता से लिया जा रहा है। जांच के दौरान आरोपियों की भूमिका स्पष्ट होने पर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
2019 में भी सामने आया था ऐसा मामला
पुलिस का कहना है कि आत्महत्या से जुड़े मामलों में अक्सर मानसिक तनाव और उकसावे की स्थिति देखने को मिलती है। ऐसे मामलों में लोगों को जागरूक करने और मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने की जरूरत है।